चाणक्य नीति शास्त्र में मनुष्य के कल्याण हेतु ऐसी कई बातें हैं जिनका पालन कर व्यक्ति सफलता की ऊंचाई को छू सकता है। इस नीति ग्रंथ में सूत्रों के रूप में आचार्य चाणक्य के ज्ञान और अनुभव का भंडार है जो लोगों के लिए बेहद ही कल्याणकारी है। उदाहरण के लिए चाणक्य नीति के इस श्लोक बताया गया है कि किन लोगों के घर में दरिद्रता बनी रहती है।
कुचैलिनं दन्तमलोपधारिणं बह्वाशिनं निष्ठुरभाषिणं च।
सूर्योदये चास्तमिते शयानं विमुञ्चतिश्रीर्यदि चक्रपाणि:।।
- आचार्य चाणक्य के अनुसार, जो लोग अपने आस-पास स्वच्छता नहीं रखते हैं, और गंदे वस्त्र पहनते हैं ऐसे लोगों के पास कभी लक्ष्मी नहीं ठहरती हैं। ऐसे लोगों को समाज में मान-सम्मान भी नहीं मिलता है।
- आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति अपने दांतो की साफ-सफाई नहीं करता है उसके पास कभी लक्ष्मी नहीं रुकती हैं। ऐसे लोगों से लक्ष्मी जी रुष्ट हो जाती हैं जिसके कारण व्यक्ति दरिद्र हो जाता है।
- जो लोग अपनी वाणी में संयम नहीं रखते हैं या कठोर वाणी बोलते हैं, उनके पास लक्ष्मी जी कभी नहीं रुकती हैं। क्योंकि किसी दूसरे व्यक्ति के मन को ठेस पहुंचाने वाले लोगों से लक्ष्मी जी रुठ जाती हैं। ऐसे लोग गरीब हो जाते हैं।
- जो लोग आवश्यकता से अधिक भोजन करते हैं वे दरिद्र हो जाते हैं क्योंकि आवश्यकता से अधिक भोजन का उपभोग करना व्यक्ति को गरीबी की ओर ले जाता है, साथ ही ऐसे व्यक्ति कभी स्वस्थ भी नहीं रहते हैं।
- जो लोग सुबह से संध्या तक सोए रहते हैं, उनके ऊपर कभी भी मां लक्ष्मी की कृपा नहीं होती है। सूर्योदय के बाद तक सोए रहने वाले व्यक्ति हमेशा दरिद्रता का सामना करता है।
- चाणक्य के अनुसार जो लोग छल-कपट या बुरे कार्यों से पैसा कमाते हैं उनके पास ज्यादा देर तक पैसा नहीं टिकता है। ऐसे लोग परेशानियों से घिर जाते हैं जिसके कारण जल्द ही उनका पैसा बर्बाद हो जाता है।
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