चंपारण मीट जिसे आहुना, हांडी मीट या बटलोई के नाम से भी जाना जाता है। इस व्यंजन की शुरुआत बिहार के एक जिले चंपारण से हुई। इसको बनाने के लिए सबसे पहले मटन को घी सरसों का तेल प्याज, लहसुन, अदरक और मसालों के मिश्रण के पेस्ट के साथ मिलाया जाता है। इसके बाद हांडी (मिट्टी के बर्तन) के मुंह को गूंथे हुए आटे से बंद कर दिया जाता है। इसे आग की धीमी आंच पर धीरे-धीरे पकाया जाता है और पकाने के दौरान लगातार हिलाया डुलाया जाता है। स्वाद और खाना पकाने का समय मांस की गुणवत्ता पर निर्भर करता है।
पूर्वी चम्पारण , मोतिहारी जिले के स्थानीय लोगों के मुताबिक ‘अहूना मीट’(Ahuna meat) का नाम भोजपुरी भाषा के “अहून” शब्द के अनरूप पड़ा है । भोजपुरी शब्द “अहून” का मतलब होता है कि सबकुछ अच्छे से मिला देना ।
अहूना मीट(Ahuna meat) की प्रसिद्धि का कारक एक और उपलक्ष्य है कि यह मांसाहारी खाना मिट्टी की बर्तन में बनता है जिससे इसकी स्वाद की उभराऊ भीतर तक आती है । पूर्वी एवं पश्चिम चंपारण में शुरुवाती दौर से ही माँसाहारी भोजन का अधिक परिचलन रहा है और यही कारण है कि यहाँ की प्रसिद्ध मीट की विधि केवल राज्य में ही नही देश भर में प्रयोग किए जाता है ।
एक किलो मटन बनाने की विधि
मटन बनाने के लिए मिट्टी के गोल बर्तन का इस्तेमाल किया जाता है. एक बर्तन में दो किलो मटन पकता है. रेसिपी एक किलो मटन की साझा की जा रही है.
400 ग्राम बारीक कटा हुआ प्याज
150 ग्राम सरसों का तेल
3-4 साबुत लहसुन
3-4 सूखी मिर्च साबुत
थोड़ा-सा साबुत खड़ा गरम मसाला
एक किलो मटन
तरीबन 100 ग्राम दही
स्वादानुसार नमक
और खास विधि से घरेलू तैयार किया गया अहुना मसाला
इन सभी चीजों में मटन को मैरीनेट किया जाता है. मिट्टी के बर्तन को धोकर सुखा लेते हैं. मटन को हांडी में पलटकर ढक्कन को आटे से बंद कर देते हैं. जिससे उसमें महक और स्वाद दोनों ही चीजें बनी रहें. लकड़ी का कोयला बनाकर धीमी आंच पर पकाते हैं. तकरीबन एक घंटा. इसके बाद परोसते हैं.