देश के जवान (भोजपुरी कविता) – कुंज बिहारी ‘कुंजन’

देश के जवान - भोजपुरी कविता  कुंज बिहारी 'कुंजन' का जवान भइलऽ हो बाबू डहिअवलऽ ना गाँवा गाँई, न हाथे हथकडि़ये लागल अब का फोन जवानी आई ? दूबर पातर बूढ़, अपाहिज, भिखमंगन पर रोब जमा लऽ भा कवनो मिल जाय...

एक बिहारी – जिसने पुरे देश को अपने कलम की ताकत के आगे नतमस्तक कर दिया

Ramdhari Singh Dinkar Biography “एक काबुली वाले की कहते हैं लोग कहानी, लाल मिर्च को देख गया भर उसके मुंह में पानी सोचा, क्या अच्छे दाने हैं, खाने से बल होगा यह ज़रूर इस मौसम का...

अन्न घुनाइल खाँखरा, फटक उड़ावे सूप / दोहा – अनिरूद्ध

अन्न घुनाइल खाँखरा, फटक उड़ावे सूप  भोजपुरी दोहा अनिरूद्ध अन्न घुनाइल खाँखरा, फटक उड़ावे सूप। अवगुन कौड़ा तब मिटे, बनीं सूप अनुरूप।। सोना-सोना जे रटे, निनिआ भइल हराम। मेहनत मोती जे लुटे, सुख से करे अराम।। सदा सतावे...

माई (भोजपुरी कविता ) मनोज भावुक

मनोज भावुक का जन्म 2 जनवरी 1976 को सीवान (बिहार) में हुआ था . मनोज भावुक भोजपुरी के सुप्रसिद्ध युवा साहित्यकार हैं जो  पिछले 15 सालों से देश और विदेश में  भोजपुरी...

मर जाते हैं साहब जी (कविता)- उत्कर्ष आनंद ‘भारत’

देश-दुनिया लगातार दूसरे साल भी कोरोना महामारी से जूझने को विवश है। बद से बदतर होते हुए आज हालात ऐसे हो गए हैं कि हर तरफ इंसान के शारीरिक और मानसिक मौतों...
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