यंहा गायब हुआ लंका का सोना

पुराणों और शास्त्रों में भगवान श्री राम की बहुत सी गाथाओ के बारे में विस्तार से बताया गया है ! ऐसा माना जाता है कि जब श्री राम ने लंकापति रावण का अंत किया था तब उन्होंने लंका का शासन भार विभीषण को दे दिया था जो रावण का छोटा भाई था ! जिसके बहुत समय बाद तक विभीषण के वंशजो द्वारा लंका पर राज किया गया था ! जंहा पहले सोने की लंका बनी हुई थी वंहा आज यह खंडर बना हुआ है ! सोचने वाली बात यह है कि इस सोने की लंका का सारा सोना कहाँ गया !

कुछ लोगो का मानना है की रावण भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था ! यह सोने की लंका रावण को भगवान शंकर से वरदान के रूप में प्राप्त हुई थी ! कुछ लोगो का कहना है की राजस्थान के अलवर जिले में रावण को एक पत्थर मिला था जिसे पारस पत्थर कहा जाता है ! इस पत्थर के द्वारा ही रावण ने अपने छोटे से राज्य को सोने में बदल दिया था ! जो बाद में में लंका के नाम से जानी गयी ! कुछ धर्मगुरुओं का मानना है की रावण ने इस लंका को बलपूर्वक कुबेर से छीना था ! स्वयं विश्वकर्मा ने जिसका निर्माणकिया था !

लंका की भौगोलिक स्थिति के बारे में रामायण से जानकारी मिलती है ! लेकिन सोचने वाली बात है कि सोने से बनी लंका आखिर कहाँ गयी और उसमे लगा गया सारा सोना कहाँ चला गया ! आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आज लंका पूरी तरह नष्ट चुकी है ! अब तो इस लंका में सोना तो दूर की बात है लोहे के टुकड़े भी मिल पाना बड़ा मुश्किल है !

कुछ इतिहासकारो का मानना है कि समय बीतने के साथ-साथ लंका का सारा सोना हिन्द महासागर में डूब गया ! कुछ लोगो का मानना है की विदेशी आक्रांताओ ने लंका का सारा सोना लूट लिया था ! लेकिन श्री लंका के इतिहासकारो ने इस विषय में कोई वर्णन नहीं किया है उन्होंने इतना ही कहा है कि 1872 में एक जहाज में काफी सोना लंका से ब्रिटेन ले जाया जा रहा था ! लेकिन जहाज में कुछ खराबी होने की वजह से वह समुद्र के बीचो-बीच अटक गया !
उस समय जहाज के कप्तान ने सूझ बुझ दिखाते हुए जहाज को वंही छोड़कर श्री लंका वापिस आना बेहतर समझा ! ब्रिटिश सरकार द्वारा 1905 में एक कमेटी बैठाई गयी ! जिसमे जहाज को खोज निकलने का फैसला लिया गया ! हेनरी राफेल इस टीम के एक सदस्य ने अपनी पुस्तक “माय जर्नी ऑफ़ इंडिया” में दावा किया था शुरुआत में तलाशी अभियान का मैं भी एक सदस्य था !
यहाँ हमें काफी सोना प्राप्त हुआ था लेकिन जब इस सोने की जांच करने पर पाया गया कि यह वे सोना नही है जो 1872 में गुम हुआ था !बारीकी से जांच करने पर पता चला की यह सोना काफी पुराना है ! शायद ये सोना भारत और श्री लंका का कोई पुराना सोना रहा होगा ! लेकिन अचानक से ही इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने जाँच बीच में ही रोक दी ! सरकार ने ऐसा क्यों किया उस समय मुझे कुछ पता नहीं चला ! लेकिन मुझे सब कुछ तब समझ में आ गया जब मेरा ट्रांसफर साउथ अफ्रीका किया गया ! जो लोग उस जांच से जुड़े हुये थे ब्रिटिश सरकार सुरक्षा को ध्यान में रखते हुये उन लोगो को हटाना चाहती थी !
सुनने में आया था कि लगभग 185 जहाजों से यहाँ से ब्रिटेन सोना ले जाया गया ! यह वही सोना होगा, जो लंका नगरी के साथ समुद्र में डूब गया था ! आश्चर्य की बात यह है की भारत के किसी भी इतिहासकार द्वारा इसका स्पष्ट रूप से वर्णन नहीं किया गया है ! इसलिए पूरी तरह से यह दावा नही किया जा सकता है कि सारा सोना ब्रिटेन चला गया था ! ऐसा कहना थोड़ा गलत होगा ! क्योंकि यदि ऐसा होता तो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन की शक्ति कमजोर नहीं होती !

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