बिहार में रामायण सर्किट में वे स्थल शामिल है जो रामायण से जुड़े हुए हैं, विशेष रूप से माता सीता के जीवन से संबंधित स्थल। इन स्थलों का धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व है। बिहार में रामायण सर्किट के प्रमुख स्थल निम्नलिखित हैं:
Ramayan Circuit – A Spiritual Journey of Rama
बिहार में रामायण सर्किट के प्रमुख स्थल
- सीतामढ़ी:
- जानकी मंदिर: यह मंदिर माता सीता को समर्पित है और इसे उनका जन्मस्थान माना जाता है। जानकी नवमी के अवसर पर यहां बहुत बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
- हलेश्वर स्थान: यह स्थान माता सीता के माता-पिता, राजा जनक और रानी सुनयना की प्रार्थना का स्थल माना जाता है। यहां भगवान शिव और पार्वती के विवाह का भी महत्व है।
- बक्सर:
- अहिरौली: यह स्थान ऋषि विश्वामित्र का आश्रम माना जाता है, जहां भगवान राम और लक्ष्मण ने अपनी शिक्षा प्राप्त की थी।
- कटकौली का मैदान: यह स्थान ताड़का वध के लिए प्रसिद्ध है, जहां भगवान राम ने राक्षसी ताड़का का वध किया था।
- तुलसीप्रेश्वर महादेव मंदिर: इस मंदिर में भगवान राम ने पूजा की थी। यह स्थान शिवभक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है।
- दरभंगा:
- अहिल्या स्थान: यह स्थान ऋषि गौतम की पत्नी अहिल्या से जुड़ा है, जिन्हें भगवान राम ने उनके श्राप से मुक्त किया था। यह स्थान धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
- हाजीपुर (रामचौरा):
- रामचौरा मंदिर: माना जाता है कि भगवान राम जनकपुर जाते समय इस स्थान पर रुके थे। यहां राम नवमी के अवसर पर विशेष पूजा होती है।
- वाल्मीकि नगर:
- वाल्मीकि आश्रम: यह स्थान ऋषि वाल्मीकि का आश्रम माना जाता है, जहां माता सीता ने अपने वनवास के दौरान शरण ली थी और जहां उनके पुत्र लव और कुश का जन्म हुआ था। यह स्थान रामायण रचना का भी स्थल है।
महत्व
बिहार में रामायण सर्किट का महत्व धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन के दृष्टिकोण से बहुत अधिक है। इस सर्किट के विकास से:
- धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
- स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
- सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण और संवर्धन होगा।
- रामायण से जुड़े स्थलों की जानकारी और महत्व को समझने में मदद मिलेगी।
बिहार में रामायण सर्किट के विकास से न केवल राज्य की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को बल मिलेगा, बल्कि देश और विदेश से आने वाले तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को भी आकर्षित किया जा सकेगा।