ब्रिटिश सेना के अन्न भंडारण के लिए हुआ था गोलघर का निर्माण

किसी ने नही सोचा था कि 17 वीं शताब्दी में विशालकाय अन्न भंडारण के लिए बनाने वाला एक भवन बाद में प्रतीकात्मक अस्मिता और महत्व के स्मारक के रूप में विकसित हो जाएगा । 1770 के विनाशकारी अकाल के कारण भूख से लोग नही मारे इसके लिए इस विशाल गुंबद के आकार (स्तूप के आकार का) को बनाया गया था, जो बाद में एक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित हो गया ।

हां, आपने सही अनुमान लगाया! यहाँ पर हम जिस स्मारक की बात कर रहे है वो कोई और नहीं बल्कि अपना गोलघर ही है!

पटना के गांधी मैदान के पास स्थित गोलघर को 1786 में कैप्टन जॉन गार्स्टिन द्वारा निर्मित किया गया था, जो कि आम लोगों की भूख मिटाने के लिए नही बल्कि ब्रिटिश सेना कभी भूख से नही मरे इसके लिए निर्माण किया गया था । भारत में 1770 में बंगाल और बिहार में 10 मिलियन लोगों की मौत हुई थी। उस समय भारत एक ब्रिटिश उपनिवेश था और भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल, वारेन हेस्टिंग्स ने ब्रिटिश सेना (भूखे भारतीयों के लिए नहीं) के लिए अनाज स्टोर करने के लिए इस भवन के निर्माण का आदेश दिया था।

यह गोलघर धीरे-धीरे पटना के लिए प्रतीकात्मक संरचना में तब्दील हो गया है और बिहार में दर्शनीय स्थलों के रूप में अपना के विशेष महत्व रखता है ।

लगभग 29 मीटर व्यास वाले इस 29 मीटर ऊंचे वास्तुशिल्प चमत्कार के अंदर से कोई खंभा नहीं है और आधार पर 3.6 मीटर की दीवार की मोटाई के साथ 140000 टन अनाज रखने में सक्षम है। गोलघर में इमारत के चारों ओर 145 कदम सर्पिल सीढ़ी है, जिसके माध्यम से कोई भी संरचना के शीर्ष पर जा सकता है।

सीढ़ियों को इस तरह से डिज़ाइन किया गया था कि अनाज को लोड करने और उतारने वाले श्रमिकों को कोई दिक्कत नही हो । ऊपर से, कोई भी पवित्र गंगा और पटना शहर के सुंदर मनोरम को देख सकता है।

अपनी विशाल अनाज भंडारण क्षमता के बावजूद, गोलघर को कभी भी उसकी अधिकतम क्षमता तक नहीं भरा गया है । और ऐसा करने की किसी ने कोशिश भी नही की है क्योंकि दरवाजे के डिज़ाइन में कुछ खामियां है । यदि यह इसकी अधिकतम क्षमता से भर देंगे , तो इसके दरवाजे खुलेंगे ही नही ।

इस ऐतिहासिक स्मारक का बहुत बार जीर्णोद्धार करने की कोशिश की गई है और इस पर कई बार पेंट भी कराया गया है लेकिन कुछ महीनों में पेंट छूट जाता है । गोलघर के नवीनीकरण की विधिवत शुरुआत वर्ष 2002 में हुई थी।

सौंदर्यीकरण और आधुनिकीकरण के एक हिस्से के रूप में, गोलघर परिसर को हरियाली और पर्याप्त बैठने की व्यवस्था के साथ-साथ कुछ मनोरंजन सुविधाओं के साथ विकसित किया गया है, जिसमें परिसर में कुछ सालों से शुरू किए गए लेजर शो भी शामिल हैं।

यदि आप बिहार में और उसके आसपास घूमने जाते हैं, तो गोलघर जाकर इसकी सुंदरता को जरूर देखें

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