करकटगढ़ जलप्रपात बिहार राज्य के कैमूर जिले में कर्मनाशा नदी पर स्थित है . मुगलों के शासनकाल में यह स्थान मगरमच्छो के शिकार करने का स्थान हुआ करता था . ब्रिटिश अधिकारी यहाँ शिकार के आनंद के साथ साथ आस पास के खुबसूरत दृश्य का आनद लेने भी आते थे .ब्रिटिश अधिकारियों ने 300 फीट चौड़े और 100 फीट ऊंचे झरने के दृश्य के साथ एक डाक बंगले का भी निर्माण किया था . यह झरना मगरमच्छों का प्राकृतिक आवास है इसलिए बिहार सरकार इसे पर्यटन स्थल के साथ साथ मगरमच्छ संरक्षण रिजर्व के लिए भी विकसित कर रही है .
करकट गढ़ जलप्रपात के बगल में वन एवं पर्यावरण विभाग ने इको पार्क, सेल्फी प्वाइंट तथा हैंगिंग झूला का भी निर्माण किया है। इसके अलावा लकड़ियों की मदद से कई सुन्दर आकृतियाँ बनाई गई है जो देखने में काफी सुन्दर लगाती है। कोई अनहोनी न हो इसलिए करकट गढ़ के जलप्रपात के चारों तरफ घेराबंदी भी कर दी गई है। इस जलप्रपात को देखने के लिए लोगों की भीड़ जुटती है। लेकिन अभी सड़क का निर्माण नहीं हो जाने से पर्यटकों की संख्या कम रहती है।
जलप्रपात से दूर रहते हैं मगरमच्छ
करकट गढ़ में नदी का पानी करीब 600 फीट नीचे गिरता है। पानी गिरने वाले स्थान से करीब 200 मीटर पहले ही मगरमच्छ रहते हैं। वन विभाग के ओर से वाइल्ड लाइफ की टीम ने इनकी ट्रैकिंग की थी। टीम जनवरी माह में आई और विभिन्न विधियों से मगरमच्छों को ट्रैक किया । इस दौरान उन्होंने कर्मनाशा व उसकी सहायक नदियों में 80 की संख्या में मगरमच्छ होने का दावा किया। दरअसल मगरमच्छ जिस स्थान पर रहते है जगह चट्टान से घिरा हुआ है। वहां से पानी रिस कर आगे जाता है जिससे मगरमच्छ इधर उधर नहीं जा पाते है। कभी-कभार बरसात में जब पानी पत्थर से पार हो जाता है तो उसी में मगरमच्छ भी बह कर जलप्रपात के नीचे चले जाते है। ग्रामीणों के अनुसार दुर्गावती जलाशय व सुअरा नदी में भी कभी-कभार मगरमच्छ पाए गए हैं। ठंड के मौसम में जब धूप निकलने के साथ ही मगरमच्छो की जलक्रीड़ा शुरू हो जाती है, जो देखते ही बनती है। मगरमच्छ संरक्षण केंद्र बन जाने के बाद पर्यटन के लिए भी संभावना बढ़ेगी।
Source – rohtasdistrict.com
Khemanichak , Near Ford Hospital Budhiya Mayi Mandir,Bihata Bmp8 Patna Raja Bazar,Patna
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