रोहतास जिले में एक से बढ़कर एक प्रकृति प्रेमियों को आकर्षित करने वाली जगहे है । जहां जाकर आप ना सिर्फ प्रकृति के सुंदरता को निहार सकते हैं बल्कि प्रकृति के संगीत का भी आनंद ले सकते हैं । कैमूर की पहाड़ी पर स्थित मांझर कुंड और धुंआ कुंड ऐसे ही जगह है। जहां का जलप्रपात प्रकृति प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करता रहता है।
कैमूर की पहाड़ियों में 3 किलोमीटर की परिधि में अवस्थित मांझर कुंड एवं धुंआ कुंड बिहार के प्रमुख जलप्रपात हैं। पहाड़ से काव नदी की पानी एक धारा बनाकर टेढ़े मेढ़े रास्ते से गुजरते हुए मांझर कुंड के जलप्रपात में इकट्ठा होता है । इसका पानी ऊंचे पर्वत से झरना के रूप में जमीन पर गिरता है । जो कि देखने में काफी सुंदर और आंखों को सुकून पहुंचाने वाला होता है।
मांझर कुंड से कुछ दूरी पर 36.5 मीटर की ऊंचाई से गहरी घाटी में गुरने वाला एक जलप्रपात है, जिसका नाम धुंआ कुंड है। इसका नाम धुंआ कुंड इसलिए पड़ा क्योंकि इतनी ऊंचाई से पानी गिरने के बाद चारों तरफ धुंध ही धुंध उठता है । इस जलप्रपात का आनंद लेने के लिए रोहतास से ही नहीं बल्कि कैमूर ,औरंगाबाद,भोजपुर और पटना के साथ साथ देश के अन्य राज्यों से भी पर्यटक यहां पहुंचते हैं।
धार्मिक दृष्टि से इस स्थल का काफी महत्व है । पौराणिक कथाओं के अनुसार सिक्खों के गुरु ने कुछ दिन अपने अनुयायियों के साथ उक्त मनोरम स्थल पर बिताई थी । तभी से यह स्थल सिख समुदाय के लिए एक तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाने लगा । रक्षाबंधन के बाद पहले रविवार को यहां गुरु ग्रंथ साहिब को ले जाने की परंपरा रही है।
3 दिनों तक सिख समुदाय के लोग अपने परिवार के साथ मांझर कुंड पर प्रवास करते थे । इसके अलावा बिहार ही नहीं बल्कि देश के अन्य राज्यों के हजारों सैलानी भी इस पर्यटन स्थल पर पहुंचते थे और पिकनिक मनाते थे। बहुत सारे लोग खाने का रेडीमेड सामान भी लेकर आते थे और कुछ लोग अपना मनपसंद लजीज भोजन बनाकर पहाड़ के आसपास ही भोजन का आनंद लेते थे। कुंड के पानी में औषधीय गुण होने के कारण यह भोजन पचाने में काफी कारगर सिद्ध होता है। लेकिन धीरे-धीरे धार्मिक स्थल की दृष्टी से आने वाले लोगों की संख्या में कमी आयी और यह अब आम लोगों के लिए एक पिकनिक स्थल बन गया है।
इतिहास पर नजर डालें तो 80 के दशक में कैमूर पहाड़ियों पर दस्युओं का ठिकाना था व बाद में इन पहाड़ियों पर नक्सलियों का प्रभुत्व हो गया । नक्सलियों के प्रभाव के कारण यहां पर पिकनिक मनाने वालों की आवाजाही कम हो गई थी। लेकिन जब से कैमूर की पहाड़ियों से नक्सलियों का खात्मा हुआ है तो अब यह पहाड़ हर वर्ष पिकनिक मनाने वालों से गुलजार हो जाता है।
अगर आप इस स्थल पर आना चाहते हैं तो आप हवाई मार्ग से पटना पहुंच सकते हैं । यह स्थल पटना से करीब 158 किलोमीटर दूर स्थित है । और अगर आप बस से आते हैं तो आप सासाराम उतर सकते हैं । सासाराम शहर से 10 किलोमीटर दूर मांझर कुंड और धुंआ कुंड जलप्रपात तक जाने के लिए ताराचंडी मंदिर के पास से एक सड़क बनी हुई है। लेकिन कुछ दूर जाने के बाद इसकी स्थिति बहुत दयनीय है। सरकार को ऐसे पर्यटन स्थलों पर ध्यान देना चाहिए और वहाँ तक जाने के लिए पक्की सड़क का प्रबंध करना चाहिए ताकि पर्यटकों को कोई दिक्कत नही हो । आप चार पहिया वाहन या बाइक से सुबह जाकर शाम तक लौट सकते हैं।
प्रत्येक साल सावन पूर्णिमा के बाद पड़ने वाले पहले रविवार को लाखों की संख्या में सैलानी यहां पहुंचते हैं और पिकनिक के रूप में प्रकृति के मनोरम दृश्य के साथ-साथ भोजन का भी आनंद लेते हैं। बहुत सारे लोग खाना बनाने का सामान जैसे बर्तन गैस चूल्हा अपने वाहन के साथ लाकर मांझर कुंड एवं धुआ कुंड के पहाड़ियों में पकवान बनाते हैं।
हमारी टीम का आपसे अनुरोध है कि अगर आप बिहार घूमने आए तो एक बार इन जगहों पर जरूर घूमे। हमारा दावा है कि आपको दोबारा घूमने का मन जरूर करेगा। साथ ही किसी भी जलप्रपात पर घूमने जाने से पहले खतरनाक जगह पर जाकर सेल्फी या फोटो नहीं खींचे। बारिश के कारण फिसलन का डर रहता है और ऐसे खतरनाक जगह पर आपकी जान को भी खतरा होता है।
Khemanichak , Near Ford Hospital Budhiya Mayi Mandir,Bihata Bmp8 Patna Raja Bazar,Patna
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