कहा जाता है कि प्राचीन काल में चंपारण एक घना जंगल था। जहां ऋषि मुनि गंभीर अध्ययन, चिंतन और तपस्या में समय व्यतीत करते थे । जिले के नाम से भी प्रकट है कि यह स्थान चंपा नमक वृक्ष या अरण्य वन था। विष्णु पुराण तथा अन्य कई पुराणों में लिखा है कि शालिग्राम या नारायणी नदी के किनारे चम्पकरण्य फैला हुआ था । जिले के भिन्न-भिन्न भागों का संबंध भिन्न-भिन्न प्राचीन देशों से बताया जाता है। कहते हैं कि दूहो शुहो का नाम पुराण प्रसिद्ध राजा उत्तानपाद की दो रानियां दुरानी और सुरानी के नाम पर पड़ा है। कहा जाता है कि उत्तानपाद के पुत्र सुप्रसिद्ध ध्रुव यही किसी स्थान पर तपस्या करते थे। परंतु इस संबंध में कुछ पुराणों में भिन्न-भिन्न मत है । वर्तमान संग्रामपुर गांव के पास ऋषि बाल्मीकि का स्थान बताया जाता है । कहते हैं यहां रामचंद्र के साथ लव कुश का संग्राम हुआ था। इसी कारण इस स्थान का नाम संग्रामपुर पड़ा । लेकिन बाल्मीकि का स्थान इस प्रांत में दरभंगा आदि और भी कई जिलों में तथा दूसरे प्रांतों में भी बताया जाता है।
पहले चंपारण सारण जिले का एक भाग था। जिसका सदर छपरा में था। 1852 ईसवी में बेतिया सबडिवीजन काम किया गया । अंत में 1866 ईसवी में चंपारण एक स्वतंत्र जिला बना दिया गया
चंपारण जिला 4 प्रकृतिक भागों में बांटा जा सकता है। पहला भाग जिले के बिल्कुल उत्तर में हिमालय की बाहर निकली हुई कुछ श्रेणियां है ।जो सोमेश्वर और दून पर्वतमाला के नाम से प्रसिद्ध है ।और जहां जंगल ही जंगल है । दूसरा भाग इन पर्वतों की तराईयाँ है । शेष भाग समतल जमीन है। जिसे छोटी गंडक दो भागों में बांटती है। उत्तरी भाग कुछ नीचा है और दक्षिणी भाग कुछ उच्चा।
Khemanichak , Near Ford Hospital Budhiya Mayi Mandir,Bihata Bmp8 Patna Raja Bazar,Patna
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