मोतिहारी 26 डिग्री 16 मिनट और 27 डिग्री 1 मिनट उत्तरी अक्षांश तथा 84 डिग्री 30 मिनट और 50 डिग्री 18 मिनट पूर्वी देशांतर के बीच में स्थित है।
मोतिहारी शहर एक बड़े जलाशय के किनारे बसा हुआ है। इस जलाशय का पहले गंडक नदी से संबंध था । गर्मी के दिनों में भी इन जलाशयों में काफी पानी रहता है । यह जलाशय शहर के लिए मोती के हार के समान है। कहते हैं कि इसी कारण इस शहर का नाम मोतिहारी पड़ा। पश्चिम ओर का जलाशय शहर को दो भाग में बांटता है।
मोतिहारी से 16 मील पूर्व सरैया के पास 160 फीट लंबा और 100 फीट चौड़ा एक टीला है जिसे लोग कस्तूरिया कहते हैं । कहा जाता है कि यह एक चेरो राजा के महल का भग्नावशेष है। इसके पश्चिम एक पाकर के पेड़ के नीचे अष्टभुजी दुर्गा की टूटी फूटी मूर्ति है । लोग इसे दुर्गावती रानी कहते हैं और इसे एक चेरो की रानी की मूर्ति बताते हैं।
जिले के बिल्कुल दक्षिण में केसरिया नामक गांव से 2 मील दक्षिण एक ऊंचा टीला है जिस पर एक बौद्ध कालीन स्तूप बना हुआ है । इसकी कुल ऊंचाई 62 फीट और नीचे का घेरा 1400 फ़ीट है । जनरल कनिंघम ने इसे 200 ईसवी से 400 ईसवी के बीच का बताया है । कहते हैं कि ऊपर का स्तूप एक पुराने और बड़े स्तूप के भग्नावशेष पर बनाया गया है । चीनी यात्री व्हेन सांग ने अपने वृत्तांत में लिखा है कि वैशाली से करीब 30 मील उत्तर-पश्चिम एक बहुत पुराना शहर था जो बहुत दिनों से उजाड़ पड़ा है। यहां बुध भगवान ने कहा था कि अपने एक पूर्व जन्म में मैंने एक चक्रवर्ती राजा होकर इस शहर में शासन किया था। यहां जो स्तूप है उसे बौद्धों ने इसी बात की यादगारी के लिए बनवाया था । कहते हैं कि गंगाईया ताल वही तालाब है जहां राजा बेन की रानी पद्मावती स्नान करती थी ।
Khemanichak , Near Ford Hospital Budhiya Mayi Mandir,Bihata Bmp8 Patna Raja Bazar,Patna
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