बड़ी पटनदेवी मंदिर

अशोक राजपथ मार्ग में गायघाट से अनुमंडल कार्यालय  की ओर बढऩे पर  दाहिनी ओर बड़ी पटन देवी का बड़ा द्वार बना है। उसी से लगभग आधा किलोमीटर पैदल या वाहन से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। पटना सिटी के पश्चिमी  निकट गुलजारबाग स्टेशन से अनुमानत: 2 किमी. उत्तर महाराजगंज क्षेत्र में यह मंदिर स्थित है .

कई मूर्तियां हैं पूजनीय

ये पटना के  सबसे पुराने और पवित्र मंदिरों में से एक है। यह भारत में 51 सिद्ध-शक्ति पिठों में से एक माना जाता है।कोने में व्योमकेश भैरव के अलावे बाहर में साईंबाबा, पार्वती, गणेश, राधा-कृष्ण, शिव तथा महावीर की मूर्तियां जीवंत है। मंदिर के बीच शेर दर्शनीय है। मंदिर में सुरक्षा के दृष्टिकोण से सीसीटीवी  कैमरा भी लगा है।

सती की दक्षिण जंघा गिरा था यहां

लोक मान्यता है कि भगवान शिव के तांडव के दौरान माता सती के शरीर के 51 खंड हुए।  सती के अंग जहां-जहां गिरे, वहां-वहां शक्ति-पीठ स्थापित की गई ।ऐसा माना जाता है की सती की दाहिनी जांघ यही पर गिरी थी। इस मंदिर के पीछे एक बहुत बड़ा गड्ढा है, जिसे ‘पटनदेवी खंदा’ कहा जाता है, कहा जाता है कि यहीं से निकालकर देवी की तीन मूर्तियों को मंदिर में स्थापित किया गया था। यहां के बुजुर्गों का कहना है कि सम्राट अशोक के शासनकाल में यह मंदिर काफी छोटा था।  इस मंदिर की मूर्तियां सतयुग की बताई जाती हैं। मंदिर परिसर में ही योनि कुंड है, जिसके विषय में मान्यता है कि इसमें डाली जाने वाली हवन सामग्री भूगर्भ में चली जाती है।

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